सीधी में कर्णभारम्

‘कर्णभारम्’ नाट्यशास्त्र के निर्देशों का उल्लंघन करके लिखी गई रचना है। हालाँकि नाट्यशास्त्र द्वारा त्रासदी को निषिद्ध कर दिया जाना भी एक मजाक ही कहा जाएगा। मेरा खयाल है कि भरतमुनि द्वारा दुखांत को वर्जित किए जाने का यह सिद्धांत हिंदुस्तानी साहित्य में भाववाद का प्रस्थान बिंदु है, जहाँ से भविष्य का समूचा रेटॉरिक आकार लेता रहा।
51 दिन के महाउर उत्सव के इस समापन आयोजन में मुख्य अतिथि के तौर पर गोविंद नामदेव आए हुए थे, जिनके साथ फोटो खिंचवाने की होड़ लगी थी। सीधी के विधायक केदारनाथ शुक्ल, जो संस्कृत साहित्य के विद्यार्थी रहे हैं, ने इस मौके पर दिए वक्तव्य में विंध्य क्षेत्र के सांस्कृतिक महत्त्व का उल्लेख करते हुए रामचरितमानस को बघेली भाषा की रचना कहा जिसमें अवधी का भी उपयोग किया गया है।
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