भारतीय फिल्म संगीत पर एक जरूरी पुस्तक
भारतीय स्वभाव मूलतः आख्यानमूलक होने से यहाँ बातों के विस्तार में जाने की प्रवृत्ति तो खूब है, पर तह में जाने की प्रवृत्ति कम पाई जाती है। उदाहरण के लिए हमारे पास इसकी तो बहुत सी कहानियाँ हैं कि कैसे भारतीय फिल्म संगीत ने दुनिया भर में नाम कमाया, लेकिन इस लोकप्रियता के मूल में कौन-सा व्याकरण है इसपर तवज्जो ज्यादा नहीं दिखाई देती। अभिषेक त्रिपाठी की पुस्तक ‘ इंडियन फिल्म म्यूजिक एंड द एस्थेटिक्स ऑफ कॉर्ड्स ’ इस लिहाज से काफी महत्त्वपूर्ण है। इसका उपशीर्षक है ‘ डिकोडिंग द थॉट्स ऑफ अ कंपोज़र ’ । दुनियाभर के संगीत की तुलना में भारतीय संगीत की क्या विशेषता है और संगीत कैसे अपने सुनने वाले पर असर करता है आदि विषयों की बारीकी और गहराई को उन्होंने इतना सरल तरह से बताया है कि तकनीकी गरिष्ठता भी यहाँ काफी सुपाच्य हो गई है। कॉर्ड का अर्थ है स्वर-संघात। यह कम से कम तीन स्वरों से मिलकर बनी स्वर-संगति ( Harmony ) की सबसे छोटी और आरंभिक इकाई है। लक्ष्मीकांत प्यारेलाल वाले प्यारेलाल शर्मा के मुताबिक- ‘ संगीत के क्षेत्र में दाखिल हो रहे व्यक्ति के लिए कॉर्ड के सिस्टम को समझना जरूरी है। जितना आप उन्हे