एक पुरानी रिपोर्ट
यह रिपोर्ट कुछ वर्ष पहले प्रकाशित हुई थी-- लखनऊ की भारतेंदु नाट्य अकादेमी सालभर के दौरान तैयार हुई अपनी पाठ्यक्रम प्रस्तुतियों का एक समारोह पिछले साल से दिल्ली में करने लगी है। इस साल यह समारोह 15 से 17 मई तक श्रीराम सेंटर में होना प्रस्तावित है। समारोह में रवि केमू , अरुण त्रिवेदी और सत्यव्रत राउत निर्देशित तीन प्रस्तुतियां दिखाई जाएंगी , पर खुद भारतेंदु के जीवन पर आधारित देवेंद्र राज अंकुर निर्देशित चौथी पाठ्यक्रम प्रस्तुति ' गुलाम राधारानी ' इसमें शामिल नहीं है। वजह है कि पिछले साल सितंबर में जब इस प्रस्तुति का मंचन लखनऊ में किया गया तो वहां के कुछ प्रगतिशील लेखकों-रंगकर्मियों का इसलिए इसके विरोध में होना बताया गया था कि यह भारतेंदु का चरित्र-हनन करती है। चरित्र-हनन के मुख्यतः चार कारण बताए गए-- 1 ) नाटक में बनारस के विश्वनाथ मंदिर के पीछे दिखने वाली मस्जिद को भारतेंदु आंख का कांटा बताते हैं ; 2) वे विक्टोरिया के युवराज में राम की छवि को देखते हुए उनसे इस कांटे को दूर करने की उम्मीद करते हैं , यानी अंग्रेजों के प्रशंसक हैं। 3) नाटक में भारतेंदु ' प्राचीन काल से चल