सख्त रंगों का स्थापत्य
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल की मौजूदा प्रस्तुतियों में लिटिल बिग ट्रैजेडीज का डिजाइन बिल्कुल अलग तरह का है। इसके लेखक और निर्देशक दोनों रूस के हैं। अलेक्सांद्र पुश्किन के 180 साल पुराने इस आलेख में कुल तीन
कहानियां हैं। तीनों कहानियां मंच पर बने एक विशाल आकार में घटित होती हैं। तंबू या चोगेनुमा इस आकार के शीर्ष पर एक जालीदार मुखाकृति है, जिसपर अलग-अलग मौकों पर कुछ खास कोणों से पड़ती रोशनियां एक विचित्र रहस्यात्मक प्रभाव पैदा करती हैं। हवा में लटके हाथों सहित यह दानवाकार अपने में ही एक दृश्य है। हर कहानी में एक निश्चित रंग के लपेटे या ओढ़े हुए प्रायः एक वस्त्रीय कास्ट्यूम में पात्रगण इस जड़वत दृश्य में गति पैदा करते हैं। धोखे, कपट और हिंसा की स्थितियों में मंच पर फैला लाल, नीला, या सलेटी प्रकाश उसे एक संपूर्ण रंग-दृश्य बनाते हैं। पौने दो घंटे की प्रस्तुति में यह दृश्य किंचित एकरस भी हो सकता है। निर्देशक ओब्ल्याकुली खोद्जाकुली इस एकरसता को तोड़ने की कई युक्तियां अपने विन्यास में शामिल करते हैं। एक मौके पर एक कमंडल से अनवरत धुआं निकलता दिखता है। एक अन्य दृश्य में आकार के सिरे से लटकी जलती मोमबत्तियों से भरी तश्तरी टेढ़ी हो जाती है और उससे कपटी डॉन जुआन पर छोटे-छोटे नीले-गुलाबी कंकड़ गिरने लगते हैं। प्रस्तुति की तीनों कहानियां- 'मोजार्ट और सैलिएरी', 'द स्टोन गेस्ट' और 'द फीस्ट ड्यूरिंग द प्लेग' यूरोप की प्रसिद्ध दंतकथाओं पर आधारित हैं। पुश्किन उनके द्वंद्व को 'नाटकीय कार्य-व्यापार के जरिए एक मुकम्मल ट्रैजेडी' की शक्ल देते हैं। पहली कहानी संगीतकार सैलिएरी द्वारा मोजार्ट की प्रसिद्धि और प्रतिभा से ईर्ष्या के फलस्वरूप उसे जहर देने की घटना पर आधारित है। घटना को अंजाम देने के बाद सैलिएरी अपनी वहशत में मानो खुद से सवाल करता है कि 'कौन कहता है कि प्रतिभा और अपराध का कोई मेल नहीं? वेटिकन का नक्शा तैयार करने वाला हत्यारा था।' दूसरी कहानी का मुख्य पात्र डॉन जुआन एक औरतबाज है। पुश्किन से पहले सामान्य तौर पर उसे कॉमेडी या प्रहसनात्मक तौर पर चित्रित किया जाता रहा, लेकिन पुश्किन के यहां अपनी आत्मलिप्तता में वह खलनायक के तौर पर पेश होता है। वह एक रईस का बेटा है जो सेनापति की हत्या के बाद मिले देशनिकाले के
दौरान छिपकर अपनी पुरानी प्रेमिका लारा से मिलने आया है। लारा के यहां वह डॉन कार्लोस की हत्या करता है। हत्या के इस दृश्य में चार पात्र बड़े-बड़े परातों को डंडी से एक लय में पीटते हैं। पीटने की रौद्र ध्वनि और गति के बीच पीछे की ओर लड़ाई और हत्या का दृश्य कुछ और भीषण होकर घटित होता है। डॉन जुआन की मुलाकात सेनापति की अनिंद्य सुंदरी विधवा डोन्यना से भी हो चुकी है, जिसे उसने अपना नाम डिएगो बताया है। वह उसपर आसक्त है, और उसकी निर्लज्जता बिल्कुल साफ दिखाई देती है। वह अपने मिलन के दौरान फादर की पत्थर की मूर्ति को आमंत्रित करता है। दर्शक देखते हैं उसकी बेशर्मी के इस क्षण में अचानक मंच के विशालकाय आकार में कोई जुंबिश होती है। विशाल आकार का हाथ अकस्मात कुछ नीचे खिसक आया है। नाटक की गति में यह खिसकना असाधारण है। यह रंगभाषा पूरी स्थिति में एक स्तब्धता भर देती है। तीसरी कहानी अपनी
प्रतीकात्मकता में किंचित उलझी हुई है। प्लेग के समय में मौत को चुनौती देने के लिए एक पार्टी हो रही है। जिसमें मौत का शिकार बने एक व्यक्ति को याद किया जा रहा है। एक पात्र मेरी को उसमें गीत गाना है। जश्न के मौके पर वह दुख का गीत गाती है। एक अन्य पात्र को किसी मृतक को ले जाती गाड़ी की आवाज सुनाई देती है। अपनी बेहोशी के बाद वह जानना चाहती है कि वह स्वर सच था या सपना। एक अन्य पात्र प्लेग के सम्मान में गाने का आग्रह करता है। प्रस्तुति में एक दृश्य है जिसमें पात्र गिलासें लिए हैं। वे उन्हें हिलाते हैं और उनमें से सिक्कों के खनकने की आवाज आती है। खास बात यह है कि गिलासों में मोमबत्तियां जल रही हैं। प्रस्तुति की रंगभाषा में इस तरह की युक्तियों का मिश्रण किंचित चमत्कार पैदा करता है। निर्देशक ओब्ल्याकुली खोद्जाकुली प्रोसीनियम के रंग-वैभव को एक मिजाज में बरतते हैं। वे एक पुरानी ट्रैजेडी को सख्त रंगों के स्थापत्य में पेश करते हैं। ये सख्त रंग उन तीखी भावनाओं को व्यंजित करते हैं, जो किसी ट्रैजिडी का आधार होते हैं। चीजें इसमें ठूंसी हुई न होकर एक सिलसिले में पाठ की संवेदना का विकास और विस्तार करती हैं।
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