बुंदेलखंड का नया सितारा-- विश्वनाथ पटेल

रिहर्सल के बाद मंच के पास बनी कुटिया में सुबह देर तक सोए कलाकार अगर संगीत नाटक अकादमी में जुझारू लोगों के लिए कोई पुरस्कार हो तो वो सबसे पहले नौजवान विश्वनाथ पटेल को मिलना चाहिए। विश्वनाथ का गाँव महलवारा दमोह से 40 किलोमीटर दूर है। मध्यप्रदेश ड्रामा स्कूल से पास होकर निकले विश्वनाथ ने दो-तीन साल पहले एक संस्था बनाकर यहाँ रंगमंच का काम शुरू किया। ऐसी सांस्कृतिक वीरानी थी कि इस पहलकदमी से जुड़ने को आतुर सैकड़ों युवाओं का प्रबंधन एक समस्या बन गई। उन्होंने नदी के किनारे और खेत में दो-तीन हजार लोगों की भीड़ के सामने नाटक किए। पर तब जो समस्या सामने आई वह थी बुंदेलखंड का प्रसिद्ध जातिवाद। विश्वनाथ ने पारंपरिक गीत गाने वाली गाँव की कुछ बुजुर्ग महिलाओं को भी जब मंच पर उतारा तो कुछ लोगों को यह मंजूर नहीं हुआ कि चमार जाति की महिलाओं को कला के नाम पर सिर चढ़ाया जाए। धमकी से डरी महिलाओं ने संगत छोड़ दी, और उन्हें फिर से अपने साथ लाने में काफी पापड़ बेलने पड़े।....धीरे-धीरे काम ने असर दिखाया, अब एक शुभचिंतक ने एक बड़ी जमीन संस्था को दान में दे दी है, जहाँ कँटीले तारों की फेंसिंग में एक ओपन स...