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झाँसी की रानी से एक मुलाकात

झाँसी की रानी से एक मुलाकात जॉन लैंग जॉन लैंग   (1816 - 1864) का जन्म सिडनी में हुआ था। उसने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की, और 1842 में भारत आकर वकालत करने लगा। सन 1851 में आगरा कोर्ट में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ एक मुकदमे में उसे बड़ी जीत हासिल हुई। यह मुकदमा कंपनी के ही एक कॉन्ट्रैक्टर रहे लाला जोती प्रसाद की ओर से था। मुकदमे में जीत ने उसे हिंदुस्तानियों के बीच प्रसिद्ध कर दिया। रानी झाँसी द्वारा अपने राज्य के अधिकार पुनः हासिल करने की कोशिशों के सिलसिले में उसकी राय जानने के लिए उसे बुलाया जाना उसी प्रसिद्धि का नतीजा था। रानी से उसकी मुलाकात का यह वाकया 1854 का है, जिसपर लिखे संस्मरण को उसने 1859 में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘ वांडरिंग्स इन इंडिया ’ में शामिल किया।            छोटे से राज्य झाँसी को कब्जे में लेने का आदेश दिए जाने के करीब महीने भर बाद, और कब्जे के लिए 13वीं नेटिव इन्फेन्ट्री की एक टुकड़ी के रवाना होने के पहले मुझे रानी झाँसी का एक पत्र मिला। सुनहरे पृष्ठ पर फारसी भाषा में लिखे इस पत्र में निवेदन किया गया था कि मैं झाँसी में एक बार उनसे मिलने के